Wrote on 5th May 2010.

अफसाने बहुत हैं इस दिल के
सुनने बैठोगे तो रात हो जाएगी,कलम लिखते थकते नहीं
वरना कागजों की दीवार बन जाएगी.
पल-पल में सपने बदलते हैं
पल-पल में चेहरे,
हिसाब लेना चाहोगे अगर दुखों का
तो सागर से मुलाक़ात हो जाएगी.
कहने और समझने के दरमियाँ
जो एहसास उभर कर आता है,
शब्दों में बयां करने की कोशिश की
तो ये रात ही गुज़र जाएगी.
bache.... dil me aur jo kuch hai...
ReplyDeletesab rakh de saamne... warna baat reh jaayegi, aur zindagi ki shaam ho jaayegi :)